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साथी देशवासियों ,वर्तमान में ,साम्प्रदायिकता और धर्म निरपेक्षता(कथित)देश की एक बड़ी समस्या बन गयी है ।धर्म निरपेक्षता के नाम पर सरकारों की नीतियां निर्धारित हो रही है,जबकि समान प्रकार की समस्या दूसरे अन्य समाजों में भी है ।कुर्सी पाने और कुर्सी पर बने रहने की लालसा के कारण वोट बैंकों की कीमत बढ़ गयी है और उसे बनाए रखने के लिए हर प्रकार का निर्णय,चाहे वह कितना असंगत ,अस्वाभाविक,असमानतापरक और अन्यायकारी हो,सभी सरकारों को करना पड़ रहा है ।सभी सरकारें अपने अपने मौके पर समान आचरण करती है लेकिन दूसरे के मौके पर उपदेश देने लगती है ।ऐसा किए जाने या होने के कारण,बहुसंख्यक हिन्दू समाज दिन प्रतिदिन और छिन्न भिन्न होता जा रहा है ।आज यह उपयुक्त समय,मेरे बिचार से,आ गया है जब विशेष रूप से हिन्दू भाईयों और उसमें भी कथित सवर्णों को शान्त मन से बिचार करना चाहिए कि वर्तमान स्थिति क्यों और कैसे उत्पन्न हुई है ? कहा जाता है कि इस देश के अधिकांश मुसलमान भाई मूल रूप में हिन्दू ही थे ।कुछ हिन्दुओं ने अपनी संकीर्ण मानसिकता के कारण ही ,अनजाने में ही अपने ही शरीर के टुकड़ों को काट काट कर अलग करते रहे,जो आज उस मूल शरीर के अस्तित्व को ही संकट में डाल दिया है । सारांशतः जातीय एवं उपजातीय व्यवस्था ने हिन्दू समाज को बहुत ही कमज़ोर बना दिया है । यदि अब भी हिन्दू समाज अपनी संकीर्ण मानसिकता को नहीं छोड़ता है तो अंधेर होने से कोई बचा नहीं सकता है ।मेरे बिचार से अब हम सभी को धार्मिक धर्मों को छोड़कर राष्ट्रीय और मानवीय धर्मों को अपना लेना चाहिए,नहीं तो’ धोबी का कुत्ता घर का न घाट का’ वाली कहावत सत्य होगी ।विश्लेषक&याहू.इन ।
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